मोहम्मद फैज़ान को मिला यूट्यूब सोसाइटी अवार्ड






स्पेशल रिपोर्ट: कामियाबी उन्हीं को मिलती है जो हर वक़्त उसकी तलाश में रहते हैं। मशहूर अमेरिकी शायर हेनरी डेविड के ये शब्द फैज़ान की जिंदगी को चरितार्थ करते दिखाई देते है। यूपी के जिला बाराबंकी के कस्बे सूरतगंज में जन्में मोहम्मद फैज़ान पिछले कई सालों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में हैं। फैज़ान अली बाबा ग्रुप के साथ ही दुनिया के सबसे बड़े स्टार्टअप बाइटडांस का भी हिस्सा हैं। हाल ही में उन्हें यूट्यूब ने अपने सोसाइटी अवार्ड से सम्मानित किया है। आइये जानते हैं वो इस बारे में क्या सोचते हैं।



सवाल- आपको यूट्यूब ने सोसाइटी अवार्ड से सम्मानित किया है कुछ कहना चाहेंगे ?


मैं इस अवार्ड को उस संगेमील (Mile Stone) की तरह देखता हूँ जो बताता है कि आप कामियाबी के रास्ते पर है। मैं इस सम्मान के लिए यूट्यूब और उसकी टीम का शुक्रगुज़ार हूँ और हर उस शख्स का भी जिनकी दुआओं ने मुझे इस मकाम पर ला कर खड़ा कर दिया।




सवाल- आज आप इस मुकाम पर है जाहिर है कई मुश्किलें आयी होंगी ?



सफर में मुश्किलें न आएं तो समझ लेना चाहिए कि या तो रास्ता गलत है या फिर मंजिल । एक सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और हजारों समझौतों का जख्म होता है। कई बार हम अपनी असफलताओं से इतना घबरा जाते हैं कि उस वक़्त हार मान लेते हैं जब कामियाबी सिर्फ चंद कदम दूर होती है।



सवाल- यानी आपने भी काफी समझौते किये ?



जाहिर है अगर आज मेरे दोस्तों की फेहरिस्त कम है या फिर मैं लोगों को वक़्त नहीं दे पाता तो इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं। आप इसे समझौते का नाम भी दे सकते हैं।



सवाल- आप चीन की सबसे बड़ी कंपनी अलीबाबा ग्रुप से जुड़े है ? कितना आसान रहा ये सब ?



2 साल पहले अलीबाबा ग्रुप ने भारत में यूसी न्यूज़ प्लेटफॉर्म लांच किया था । उस वक़्त मैं कई अखबारों और वेबसाइटों में काम कर रहा था। यूसी को बेहतरीन लेखकों और ब्लॉगरों की जरूरत थी, इत्तिफाकन मेरे कलम की आवाज उन्हें पसन्द आई और सिलसिला चल पड़ा।



सवाल- आपका नाम कई जगहों पर सुना गया, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी आप आगे दिखाई देते हैं?


अब आप अगर एक टेक कंपनी यूट्यूब ने मुझे इस अवार्ड से सम्मानित किया है तो कोई न कोई तो वजह होगी ही। जहाँ तक नाम की बात रही तो मैं यूसी न्यूज़, न्यूज़डॉग, हेलो और वीलाइक जैसे कई मीडिया प्लेटफॉर्म को स्थापित करने में मैंने मदद दी है।  काफी खुशी होती है जब आपसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद मांगी जाए।




सवाल- पिछले दिनों आपको यूसी स्टार अवार्ड भी मिला है? कोई प्रतिक्रिया देना चाहेंगे?


यूसी का ये अवार्ड मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत एहसास था। यूसी ये अवार्ड उन लोगों को देता है जिन्हें सोशल मीडिया या इंटरनेट जगत में सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है। मैं खुशकिस्मत हूँ कि मेरे लिखे आर्टिकल्स को लाखों और करोड़ों लोगों ने पढ़ा। यूसी स्टार अवार्ड के लिए मैं यूसी और उसके सहयोगियों का शुक्रिया अदा करता हूँ।




सवाल- आपने कोई किताब भी लिखी है? सुना है कई और विषयों पर लिख रहे हैं।


एक मुसलमान होने के नाते मुझे अपने मजहब और अपनी तारीख से बड़ी दिलचस्पी है। कुछ सालों पहले कई लोगों ने ये इल्जाम लगाए थे कि मुसलमानों ने विज्ञान के क्षेत्र में कोई शोध या अविष्कार नहीं किये। मेरे लिए ये हैरानी की बात थी कि कोई भी मुसलमान इसका जवाब न दे सका तब मैंने अपनी तहकीकात की बुनियाद पर कई मुसलमानों और उनके अविष्कारों के बारे अखबारों में लिखना शुरू किया जिसे काफी लोकप्रियता हासिल हुई। बड़े अफसोस की बात है कि इस मुद्दे पर आसान जुबान में तहक़ीक़ के साथ आज तक कोई किताब नहीं लिखी गई यही वजह है जो मैंने 5 सालों तक इस विषय पर शोध किया और "मुसलमानों ने साइंसी कारनामें" के शीर्षक से 400 पन्नो की किताब लिख डाली। किताब पब्लिशिंग हाउस में है जल्द ही आप उसे खरीद सकेंगे। इसके अलावा मैं अपनी शायरी की किताब भी काम कर रहा हूँ।



सवाल- तो आप एक शायर भी हैं ?



अब आप मुझे शायर का नाम दें या लेखक का या फिर टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट या पत्रकार का लेकिन ये एक कोशिस भर है उर्दू का कर्ज उतारने की। लोग हैरत में पड़ जाते हैं जब मैं उन्हें पता चलता है कि मैंने अपने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की तालीम उर्दू में हासिल की है। शायद लोगों की यकीन नहीं होता कि कोई उर्दू जानने वाला भी इन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हासिल कर सकता है।




सवाल- आप मुसलमानों के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं? ऐसे में आपकी आगे की रणनीति क्या है?


फिलहाल मैं मुसलमानों को आवाज देने के लिए कई मीडिया प्लेटफार्म को विकसित करने की कोशिशें कर रहा हूँ और एक तरह से वो स्थापित होकर खामोशी से काम भी कर रहे हैं। फिलहाल कुछ मुद्दों पर फेसबुक से बात चल रही है और इन सबमें यूट्यूब का सहयोग अतुलनीय है। ये अवार्ड उसी की अलामत है।




सवाल: लोगों को कोई सन्देश देना चाहेंगे ?


इस सफर में बड़ी मुश्किलें आईं काफी उतार चढ़ाव आये लेकिन एक मक़सद था कि चीजों को किस तरह आसान बनाया जा सकता है। मुसलमानों के दर्द को आवाज देने की कोशिशों में कई बार जख्म भी मिले लेकिन मंजिलों तक पहुंचते पहुंचते वो जख्म भी काफूर हो गए। मैं शुक्रगुजार हूं अपने माँ-बाप का जिनकी वजह से मैं आज इस मुकाम पर खड़ा हूँ।




मेरी इस कामियाबी में अमजद, उबेद, आफताब, शुएब, असद और जावेद जैसे मेरे वो दोस्त भी बराबर शरीक रहे जिनकी वजह से सपनों को हक़ीक़त में बदलने का मौका मिला। शुक्रिया आप सबकी बेपनाह मोहब्बतों का।



( टेक रडार के संपादक अमित से की गई बातचीत के आधार पर)

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