ट्रम्प और मस्क की एक-दूसरे को धमकी! राजनीति की दुनिया की सबसे हाई-प्रोफ़ाइल लड़ाई

एलन मस्क ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को धमकी दे दी है। मस्क ऑन रिकॉर्ड बोल रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप को इंपीच किया जाना चाहिए।

नमस्कार, मैं रविश कुमार।

एलन मस्क ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को धमकी दे दी है। मस्क ऑन रिकॉर्ड बोल रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप को इंपीच किया जाना चाहिए। छह महीने भी नहीं हुए हैं ट्रंप के, और मस्क ट्रंप पर महाभियोग चलाने की मांग कर रहे हैं। ट्रंप के समर्थक कह रहे हैं, मस्क और उनके साथी ट्रंप को हटाकर वेंस को लाना चाहते हैं, जो उनके हित में
काम करें।

यह सब क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? इसे गंभीरता से देखने और समझने की जरूरत है, क्योंकि यही सब आपके साथ भी होगा — बल्कि हो भी रहा है। इस वीडियो में हम इसी पर बात करेंगे। आगे जाकर यह लड़ाई ट्रंप को कितना कमजोर करेगी और अमेरिका में मस्क जैसों को कितना मजबूत करेगी, यह सब देखना बाकी है।

जब एक बिजनेसमैन टेक्नोक्रेट राष्ट्रपति को ही धमकी दे दे, तब इस पर भी बात करनी चाहिए कि इन टेक कंपनियों ने क्या इस हद तक दुनिया को कब्जे में करने का प्लान बना लिया है? क्या वे अब सत्ता को भी अपने हाथ में रखना चाहते हैं? क्योंकि उनके पास सोशल मीडिया है, जिससे वे पब्लिक ओपिनियन बनाते हैं, बिगाड़ देते हैं।

इस पर गंभीरता से कोई बात नहीं करेगा। इसलिए मस्क और ट्रंप की दोस्ती-दुश्मनी को पर्सनल बताकर चटखारे भर लिए जाएंगे। काफी कुछ है इस झगड़े में झांक कर देखने के लिए। लेकिन भारत के लोगों की त्रासदी देखिए। ट्रेजडी यह है कि वो क्या देख रहे हैं और उन्हें क्या दिखाया जा रहा है, समझिए।

जिस भारत के प्रधानमंत्री ट्रंप के एक बयान का सार्वजनिक रूप से जवाब नहीं दे पाए, उस भारत के लोग और उनके समर्थक मस्क और ट्रंप के झगड़े से बहुत खुश हैं कि ट्रंप को कोई अमेरिका में पूछ नहीं रहा। एक बिजनेसमैन दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्रपति को पब्लिक में चैलेंज कर दे — और हमारे वीडियो बनाने तक ना तो उसके घर ईडी की टीम पहुंची, ना वह जेल में है। यकीन करना भारत के लोगों के लिए वाकई मुश्किल काम है।

तो समझने की बात यह है कि जिस ट्रंप के बार-बार कहने के बाद भी भारत के प्रधानमंत्री से जवाब देते नहीं बना, उस ट्रंप को अमेरिका का एक उद्योगपति खरी-खोटी सुना देता है। उसके पास भी बिजनेस है, कंपनियों में हजारों लोग काम करते हैं। फिर भी मस्क ने ट्रंप को चैलेंज कर दिया। वह तब भी बोल रहा है जब ट्रंप के समर्थक मस्क की कंपनी को जब्त करने की मांग कर रहे हैं।

इस लड़ाई में कम से कम यह तो दिख गया कि इनका इरादा केवल “कब्जा” करना है — कब्जा करने की ताकत हासिल करना है। नाम लोकतंत्र का रहेगा, काम कंट्रोल तंत्र का चलेगा।

भारत की त्रासदी दूसरे तरीके से भी समझिए। भारत में अगर मस्क जैसा कोई उद्योगपति ऐसा बोल दे, तो उस पर कई चरणों में हमला शुरू होगा। सबसे पहले आईटी सेल पूरी फैमिली का डिटेल निकालेगी, फोटो निकालकर गाली देगा, वायरल करवाएगा। फिर ईडी की टीम पहुंचकर तकिया और गद्दा फाड़ने लग जाएगी कि मनी लॉन्ड्रिंग का कुछ सबूत मिलता है या नहीं। फिर जनाब जाएंगे जेल — और फिर सालों तक जमानत नहीं मिलेगी।

भारत में यह सब हो रहा है। क्या अमेरिका में भी होगा? या वहां भी हो रहा है? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत का कोई टायकून प्रधानमंत्री मोदी की किसी भी नीति की आलोचना कर दे? अर्थव्यवस्था की हालत को लेकर सच बोल दे या सवाल कर दे?

ग्यारह साल से आपने राहुल बजाज के अलावा किसे बोलते देखा है? इनमें से किसके बयानों से लगा कि इस समय अर्थव्यवस्था की हालत क्या है? जीडीपी के दावों पर इतने सवाल उठ रहे हैं — क्या इन उद्योगपतियों के पास अपना कोई नजरिया नहीं है जो सरकार से अलग हो?

मैं नहीं मानता कि इन सबके व्यक्तिगत विचार नहीं होंगे, इनकी अपनी सोच नहीं होगी। लेकिन सवाल वही है — मस्क को जो लगता है, वह बोल रहे हैं। जो भी प्लान है, जोखिम उठा रहे हैं। भारत में इसकी कल्पना करने का साहस भी समाप्त हो चुका है।

मस्क और ट्रंप की इस पूरी लड़ाई में विचारधारा, ईगो के टकराव के अलावा यह भी देखने की बात है कि मस्क अपनी बात पर अड़े हैं। कम से कम अपनी बात कहने के लिए रिस्क ले रहे हैं। लेकिन कहते-कहते वे एक और काम कर रहे हैं — राष्ट्रपति ट्रंप को उनकी औकात भी दिखा रहे हैं।

तो इस कहानी में, फिर से महान बनने का सपना देखने वाले अमेरिका का बहुत भयानक पतन भी दिखता है। मस्क और ट्रंप की दोस्ती बनी थी इसलिए कि फिर से अमेरिका को “ग्रेट” बनाएंगे। लेकिन दोनों खुद को इतना ग्रेट समझने लगे कि एक-दूसरे से ही भिड़ गए।

एक समय था जब मस्क से दोस्ती ने ट्रंप को राष्ट्रपति के पद तक पहुंचाया। चुनाव में मस्क ने ट्रंप के समर्थकों को पैसे दिए। CBS चैनल की रिपोर्ट के अनुसार मस्क ने ट्रंप और उनकी पार्टी पर 277 मिलियन डॉलर खर्च किया — भारतीय रुपए में 2,377 करोड़। खुलकर चंदा दिया, कुछ भी छिपकर नहीं किया।

चुनाव जीतने और शपथ ग्रहण के बाद कई बार राष्ट्रपति ट्रंप ने मस्क का शुक्रिया अदा किया और तारीफ की। मस्क अपने बेटे एक्स को लेकर व्हाइट हाउस आए। मस्क के बगैर ट्रंप व्हाइट हाउस में कम ही दिखे। बल्कि मस्क की टेस्ला लाकर प्रचार किया और खरीद कर दिखाया कि वे टेस्ला में कितना यकीन रखते हैं।

भारत के लोगों को यह कहानी भारत के एंगल से देखनी चाहिए — और ग्लोबल एंगल से भी। मस्क कब आगे हुए? जब ट्रंप राष्ट्रपति बन गए। विडंबना देखिए — मस्क और ट्रंप मिलकर अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचल रहे थे। कोलंबिया से लेकर हार्वर्ड तक हमला इसी आधार पर किया गया कि यहाँ पढ़ने का मतलब हो गया है “कम्युनिस्ट” होना। ग़ज़ा में नरसंहार के विरोध में उतरने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई।

हर तरफ इसकी आशंका जताई जा रही है कि ट्रंप का अमेरिका निरंकुशवाद की राह पर है। लेकिन उसी अमेरिका में मस्क व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का खुलकर इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका मतलब है — अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही सनातन सत्य है। सत्ता भले किसी की हो, बोलने की स्वतंत्रता सबकी होनी चाहिए।

मस्क और ट्रंप की लड़ाई से यह बात सीखनी चाहिए कि उस अमेरिका में अब भी इतना कुछ बचा हुआ है कि कोर्ट ट्रंप के फैसले पर रोक लगाने का साहस रखते हैं। किसी जज की रीढ़ अब भी स्टील की है कि फैसला पलट देते हैं। और मस्क अपनी असहमति खुलकर ट्रंप के खिलाफ रखते हैं।

आप कह सकते हैं कि उसी मस्क को आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जरूरत पड़ गई होगी। अगर यह लड़ाई आगे बढ़ी तो मेरा अनुमान है — मस्क अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सबसे बड़े लीडर बन सकते हैं।

लेकिन यह सब भ्रम है। और भ्रम पालना ठीक नहीं। पालना है तो बकरी पालिए, पैसा भी कमा लेंगे — भ्रम मत पालिए

राष्ट्रपति से दोस्ती और असहमति — फिर दोस्ती में इतनी दूरी कि बात धमकी पर आ जाए? ठीक है, मस्क की टेस्ला बिक नहीं रही। ट्रंप के करीब जाने के कारण टेस्ला के खरीदार घट गए। उनकी कंपनी के शेयरों के दाम गिर गए। लेकिन मस्क ने कोई गुपचुप डील कर किनारा नहीं किया।

बल्कि आप देख रहे हैं कि ट्रंप के एक आर्थिक फैसले का वह खुलकर विरोध करते जा रहे हैं। भारत में एक उद्योगपति का नाम बता दीजिए जिसने आर्थिक फैसले का विरोध किया हो।

देखने से यह झगड़ा अमेरिका के एक आर्थिक बिल को लेकर है — लेकिन और भी कई वजहें हैं, इस झगड़े में और तस्वीरें भी।

I am very disappointed.

5 जून की शाम ट्रंप ने कह दिया — वे मस्क के रवैये से उदास हैं। अपने बिल के बारे में बात करते हुए कहा कि मस्क को इस बिल के बारे में शुरू से पता था, सबसे अच्छे से वही जानते थे। अब अचानक मस्क को प्रॉब्लम हो गई?

जब तक मस्क सरकार से बाहर नहीं गए, तब तक उनको इस बिल से कोई प्रॉब्लम नहीं थी। उन्होंने कहा, “मुझे अफसोस है कि यह हो रहा है। मैंने एलन की बहुत मदद की है। लगता है यह रिश्ता खत्म होने वाला है। मस्क पागल हो गए हैं। अभी तक मस्क ने मेरे बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन मैं जानता हूं अगला नंबर मेरा है।”

तो यह लड़ाई कहां जा रही है? क्या मस्क ट्रंप पर हावी हो जाएंगे? अपनी ताकत से उन्हें घेर लेंगे, दबोच लेंगे, कमजोर कर देंगे? या ट्रंप ही मस्क को कुचल देंगे?

मस्क के साथ कौन खड़ा है, इस पर निर्भर करता है। मस्क क्यों वेंस को राष्ट्रपति बनाने की बात करते हैं? वेंस के साथ कौन खड़ा है — यह जानने की कोशिश करते रहिए।

ट्रंप के इस बयान की वजह है मस्क का उनके बिल के खिलाफ विरोध करना। ट्रंप इस बयान से दो दिन पहले तक शांत थे। मस्क ने एक ट्वीट में लिखा:

“मुझे माफ करना, लेकिन अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकता। कांग्रेस का यह भयानक, भीमकाय बिल एक भद्दा दस्तावेज है। जिन्होंने इस पर वोट किया है, वे जानते हैं कि उन्होंने गलत किया है।”

मस्क कह रहे हैं कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं। उन्हें बिल की कॉपी दिखाई नहीं गई। अंधेरे में इसे पास किया गया। इतनी तेजी से इसे पास कराया गया कि कांग्रेस में कोई ना देख सके।

ट्विटर पर मस्क और ट्रंप के बीच तू-तू, मैं-मैं के कई बयान आपको मिल जाएंगे। लेकिन ध्यान से देखेंगे तो यह कोई सड़क छाप लड़ाई नहीं है — इस लड़ाई के पीछे सत्ता को कंट्रोल में रखने की कोशिश है। और यह बताने का प्रयास कि सत्ता का असली मालिक वह नहीं जो कुर्सी पर बैठा है, बल्कि वह है जो कुर्सी पर बिठाता है।

मस्क ने यूं ही नहीं कह दिया होगा कि मेरी वजह से ट्रंप जीत सके, नहीं तो हार जाते। यह नाशुक्री है। ट्रंप ने मस्क की निंदा का जवाब देते हुए अपनी सोशल मीडिया वेबसाइट ट्रुथ पर लिख दिया:

“बजट में अरबों डॉलर बचाने का सबसे आसान तरीका है — एलन को मिलने वाली सरकारी सब्सिडी और कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिए जाएं। मैं हैरान हूं कि बाइडन ने यह क्यों नहीं किया।”

इसके बाद मस्क ने ट्विटर पर लिखना शुरू कर दिया। ट्रंप की धमकी का जवाब देते हुए मस्क ने लिखा:

“उनकी कंपनी SpaceX फौरन अपने Dragon स्पेसक्राफ्ट को decommission करना शुरू कर देगी।”

कुछ देर बाद, जब एक ट्विटर यूजर ने मस्क को शांत होने के लिए कहा, तो उन्होंने कहा:

“ठीक है, हम Dragon को वापस नहीं लेंगे।”

यह सब ट्रंप और मस्क के ट्वीट से पता चलता है — जिनकी दोस्ती से दुनिया डरने लगी थी कि सत्ता पर उद्योगपति का कब्जा हो गया है। अब वही डर इस दुश्मनी से और बड़ा हो गया है — 



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