अमेरिका की कार्यवाहक राजदूत डोरोथी शिया ने कहा कि यह प्रस्ताव हमास की आलोचना नहीं करता और उसमें हमास को गाजा छोड़ने की शर्त भी शामिल नहीं है। उनके अनुसार, यह मसौदा अमेरिका के नेतृत्व में चल रही संघर्षविराम की कोशिशों को कमजोर कर सकता है।
यह कदम यह भी स्पष्ट करता है कि अमेरिका मिडिल ईस्ट में अपने सबसे करीबी सहयोगी इजरायल के साथ मजबूती से खड़ा है, भले ही वैश्विक स्तर पर युद्धविराम को लेकर भारी दबाव बन रहा हो।
गाजा में बिगड़ते हालात
गाजा में हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं। वहां 20 लाख से अधिक लोग फंसे हुए हैं और जरूरी सामान की भारी कमी है। हाल ही में इजरायल ने गाजा पर अपनी सैन्य कार्रवाई दोबारा शुरू कर दी है, जिससे एक ही दिन में 45 लोगों की जान चली गई, जबकि इजरायल का एक सैनिक भी मारा गया।
इजरायल और अमेरिका का रुख
इजरायल ने युद्धविराम प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि बिना शर्त शांति की मांग करना तुष्टीकरण और समर्पण जैसा है। इजरायल के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत डैनी डैनन ने प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों को चेतावनी दी कि उनका यह कदम आतंक को बढ़ावा देगा, न कि शांति को।अमेरिका ने भी स्पष्ट किया कि वह शांति का पक्षधर है, लेकिन वह हमास को फिर से ताकतवर नहीं होने देना चाहता।
हमास की प्रतिक्रिया
हमास ने अमेरिकी वीटो की आलोचना करते हुए कहा कि यह अमेरिका की “अंध समर्थन नीति” को दर्शाता है। प्रस्ताव में हमास और अन्य गुटों द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई की मांग भी शामिल थी।
अमेरिका का यह कदम एक बार फिर दुनिया को यह याद दिलाता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में वीटो पावर का उपयोग किस तरह मानवता के संकट से अधिक भूराजनैतिक हितों के लिए किया जाता है। जहां पूरी दुनिया युद्ध रोकने के पक्ष में खड़ी है, वहीं अमेरिका अपने रणनीतिक साझेदार इजरायल के पक्ष में अडिग खड़ा है।
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